धरती बचाने का महाटेस्ट सफल, 5 अरब किलो के एस्टेरॉयड का रास्ता बदलने की कोशिश : पहली बार एस्टेरॉयड से टकराया NASA का स्पेसक्राफ्ट / NASA DART Mission

कल पहली बार कोई इंसानी अंतरिक्ष यान किसी एस्टेरॉयड से टकराया। NASA का अंतरिक्ष यान DART भारतीय समयानुसार आज सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर डाइमॉरफस नामक एस्टेरॉयड से टकराया। ये धरती की ओर खतरे के रूप में बढ़ने वाले एस्टेरॉयड का रास्ता बदलने की पहली टेस्टिंग है।

अंतरिक्ष में हुआ कुछ खास :

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का अंतरिक्ष यान DART यानी डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट अंतरिक्ष में मौजूद एक एस्टेरॉयड डाइमॉरफस से टकराया। टक्कर अमेरिकी समयानुसार 26 सितंबर को शाम 7:14 मिनट पर हुई। तब भारत में 27 सितंबर की सुबह के 4:44 मिनट बजे थे।

NASA का करीब 42 फीट और 570 किलो का अंतरिक्ष यान DART 2560 फीट और 5 अरब किलो के एस्टेरॉयड डाइमॉरफस से टकराया। ये टक्कर धरती से करीब 1.1 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर हुई। NASA के अनुसार DART करीब 22.5 हजार किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से एस्टेरॉयड से टकराया।

इस टक्कर का मकसद उस एस्टेरॉयड को नष्ट करना नहीं, बल्कि उसकी आर्बिट, यानी एक तरह से उसके रास्ते में बदलाव करना है। ये पहला प्लेनेटरी-डिफेंस टेस्ट है और ये किसी एस्टेरॉयड से टकराने वाला दुनिया का पहला स्पेस मिशन भी है।

घटना का लाइव कवरेज कर रहे NASA ने टक्कर के आखिरी पलों का वीडियो शेयर किया है। इसमें DART के करीब आने के साथ ही डाइमॉरफस एस्टेरॉयड का साइज बड़ा होता जाता है और अंत में DART के उससे क्रैश होते ही कनेक्शन टूट जाता है और स्क्रीन ब्लैंक हो जाती है। यानी DART सफलतापूर्वक एस्टेरॉयड से टकरा जाता है। इस दौरान NASA के वैज्ञानिक खुशी से चिल्लाते और तालियां बजाते देखे गए।

नासा की कामयाबी :

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एस्टेरॉयड से टक्कर का मिशन का पहला हिस्सा कामयाब रहा। NASA की इस मिशन की डिप्टी प्रोग्राम मैनेजर एलेना एडम्स ने इस टक्कर को कामयाब बताते हुए कहा कि मिशन का पहला हिस्सा सफल रहा और DART अपने तय टारगेट से 17 मीटर दूर टकराया।

हालांकि मिशन का दूसरा लक्ष्य, यानी अभी ये जानना बाकी है कि एस्टेरॉयड की टक्कर से उसकी ऑर्बिट में कितना बदलाव हुआ। इसी से ये पता चलेगा कि भविष्य में धरती को किसी एस्टेरॉयड से खतरा होने पर उसका रास्ता बदलने का ये मिशन कितना कामयाब हुआ है। वैज्ञानिकों को इस टक्कर से एस्टेरॉयड पर एक बड़ा गड्ढा बनने और करीब 10 लाख किलो पत्थर और धूल स्पेस में बिखरने की संभावना थी।

वैज्ञानिक अगले दो महीने एस्टेरॉयड की स्पीड और मूवमेंट की निगरानी करेंगे और इसका कैलकुलेशन करेंगे। यानी अगले दो महीने बाद ही इस बारे में कुछ जानकारी मिल पाएगी कि NASA एस्टेरॉयड का रास्ता बदलने की कोशिश में कितना कामयाब हुआ है।

इस मिशन के पूरे असर का पता 2024 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी के स्पेसक्राफ्ट HERA के डाइमॉरफस पर जाने पर पता चलेगा। HERA 2026 तक वहां पहुंचेगा।

डाइमॉरफस से टकराया NASA का स्पेसक्राफ्ट :

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डाइमॉरफस एक बाइनरी स्टेरॉयड सिस्टम का हिस्सा है। इसमें सिस्टम में दो एस्टेरॉयड होते हैं, जिनमें छोटा एस्टेरॉयड एक बड़े एस्टेरॉयड का चक्कर लगाता है।

डाइमॉरफस आकार में 163 मीटर चौड़ा यानी करीब 535 फीट का एस्टेरॉयड है। वहीं डिडिमॉस 780 मीटर यानी करीब 2560 फीट लंबा एस्टेरॉयड है। डाइमॉरफस एक मूनलेट या ‘नन्हा चांद’ एस्टेरॉयड है, जो एक बड़े डिडिमॉस नामक एस्टेरॉयड का चक्कर लगाता है। डाइमॉरफस और डिडमॉस के बीच की दूरी महज 1.2 किलोमीटर है।

वहीं डिडिमॉस सूरज का चक्कर लगाता है। ये सूरज से करीब 15 करोड़-30 करोड़ किलोमीटर दूर है और उसका एक चक्कर 2 साल और 1 महीने में पूरा करता है। NASA का अंतरिक्ष यान छोटे एस्टेरॉयड यानी डाइमॉरफस से टकराया।

ग्रीक भाषा में डिडिमॉस का मतलब होता है जुड़वां और डाइमॉरफस का मतलब होता है ‘दो रूप।’ डिडिमॉस एस्टेरॉयड की खोज 1996 में जो मोंटानी ने की थी, जबकि डाइमॉरफस की खोज 2003 में पेट्र प्रवेस ने की थी। NASA का कहना है कि अंतरिक्ष यान के नेविगेशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह आखिरी 50 मिनटों में दोनों एस्टेरॉयड्स के बीच अंतर करते हुए छोटे एस्टेरॉयड डिमॉरफस से ही टकराया।

NASA के स्पेसक्राफ्ट को डाइमॉरफस तक पहुंचने में लगने वाला समय :

DART के साथ इटैलियन स्पेस एजेंसी का बना एक सैटेलाइट LICIACube भी भेजा गया है। 19 मीटर का DART करीब स्कूल बस के साइज का है। इसे डाइमॉरफस एस्टेरॉयड तक पहुंचने के लिए 24 नवंबर 2021 को लॉन्च किया गया था।

अब करीब 10 महीने के सफर के बाद ये 26 सितंबर को डाइमॉरफस एस्टेरॉयड के पास पहुंचा और इसी दिन उससे टकराया।

 इस टक्कर मे होगा :

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NASA के मुताबिक इस टक्कर से एस्टेरॉयड पर एक बड़ा गड्ढा बनाने जितनी पर्याप्त एनर्जी निकलेगी। इस टक्कर से डाइमॉरफस एस्टेरॉयड की डिडिमॉस की परिक्रमा करने की स्पीड में करीब 1% बदलाव आएगा।

सुनने में ये बदलाव ज्यादा नहीं लगता, लेकिन इससे डाइमॉरफस की ऑर्बिट यानी डिडिमॉस के चारों ओर चक्कर लगाने का रास्ता बदल जाएगा। डाइमॉरफस को अभी डिडिमॉस का एक चक्कर लगाने में करीब 11 घंटे 55 मिनट का समय लगता है। NASA को उम्मीद है कि DART से टक्कर के बाद डाइमॉरफस के एक चक्कर में लगने वाले समय में 10 मिनट की कमी आ जाएगी।

DART से दिए गए झटके से डाइमॉरफस थोड़ा शिफ्ट हो जाएगा और डिडिमॉस के ग्रेविटेशनल फोर्स से और बंध जाएगा। यानी डाइमॉरफस के चक्कर का रास्ता थोड़ा सा छोटा हो जाएगा।

वैसे तो टक्कर का प्रभाव तुरंत दिख जाना चाहिए, लेकिन इस टक्कर से एस्टेरॉयड के आर्बिट में कितना बदलाव आया, इसे जानने में कई महीने लगेंगे।

इस घटना पर धरती के सातों महाद्वीपों में तैनात टेलिस्कोप के साथ ही हबल और वेब स्पेस टेलिस्कोप और NASA की एस्टेरॉयड हटिंग अंतरिक्ष यान लुसी नजर रखेंगे। ऑर्बिट बदला या नहीं, इसका पता 2024 में यूरोपियन अंतरिक्ष यान HERA के डाइमॉरफस पर जाने पर ही चल पाएगा।

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टक्कर से इसका प्रभाव :

NASA का अंतरिक्ष यान डाइमॉरफस एस्टेरॉयड से करीब 100 गुना छोटा है। इसलिए ये उसे नष्ट नहीं कर पाएगा बल्कि ये एस्टेरॉयड की स्पीड और रास्ते को बदलने की कोशिश करेगा।NASA ने इस टक्कर की तुलना मिस्र के किसी पिरामिड से किसी गोल्फ कार्ट के टकराने से की है।

NASA के लिए इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी कर रही है। इस यूनिवर्सिटी की प्लेनेटरी साइंटिस्ट और मिशन टीम लीडर नैंसी चाबोट का कहना है, ‘ये (टक्कर) एस्टेरॉयड को तबाह नहीं करेगी या उसे टुकड़ों में नहीं तोड़ेगी, बल्कि इससे सैकड़ों मीटर साइज का गड्ढा होगा और करीब 10 लाख किलो पत्थर और धूल स्पेस में बिखर जाएगी।

टक्कर से धरती को खतरा :

NASA का अंतरिक्ष यान जिस एस्टेरॉयड से टकराएगा, उससे धरती को कोई खतरा नहीं है। इस टक्कर के बाद भी धरती को कोई खतरा नहीं होगा।

नासा ने कहा, ‘DART का टारगेट एस्टेरॉयड धरती के लिए खतरा नहीं है, लेकिन यह देखने के लिए एकदम सही टेस्टिंग ग्राउंड है कि क्या एस्टेरॉयड डिफ्लेक्शन का ये मेथड भविष्य में पृथ्वी के साथ किसी एस्टेरॉयड के टक्कर की संभावना का पता चलने पर, हमारे ग्रह की रक्षा करने में काम आएगा या नहीं।’

टकराव से मिली जानकारी :

NASA के स्पेसक्राफ्ट की एस्टेरॉयड से टक्कर उस बड़े एक्सपेरिमेंट का हिस्सा है, जिसमें देखा जा रहा है कि अगर भविष्य में कोई एस्टेरॉयड धरती की ओर बढ़े तो क्या उसका रास्ता बदला जा सकता है।

NASA की प्रोग्राम एग्जिक्यूटिव एंड्रिया रिले का कहना है कि अगर DART अपना लक्ष्य चूक भी जाता है, तो भी इससे कीमती जानकारियां मिलेंगी। उन्होंने कहा, ‘इसीलिए हम टेस्ट करते हैं, हम इसे अभी करना चाहते हैं, बजाय कि तब जब इसकी असल में जरूरत हो।’

कई हॉलीवुड फिल्मों में इस तरह की कल्पनाएं की जा चुकी हैं। 2021 में आई फिल्म ‘डोंट लुक अप’ और 1998 में आई फिल्म ‘आर्मागेडन’ में ऐसी कल्पनाएं की जा चुकी हैं।

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DART स्पेसक्राफ्ट में डिडिमॉस रीकानसन्स एंड एस्टेरॉयड कैमरा फॉर ऑप्टिकल नेविगेशन यानी DRACO कैमरा लगा था। इस इस्ट्रूमेंट न केवल अंतरिक्षयान को रास्ता दिखाया बल्कि एस्टेरॉयड्स की सैकड़ों तस्वीरें भी खींची।

टक्कर से एक महीने पहले से ही इसने तस्वीरें खींचनी शुरू कर दी है, जो एस्टेरॉयड से टक्कर तक जारी रही। ये सभी तस्वीरें इसने धरती पर भेजी।

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टक्कर के बाद की तस्वीरें खींचने के लिए इटैलियन स्पेस एजेंसी ने एक सैटेलाइट भेजा है, जिसका नाम है LICIACube यानी इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग ऑफ एस्टेरॉयड्स। ये सैटेलाइट एस्टेरॉयड की इमेजिंग यानी तस्वीरें खींचने के लिए बनाया गया है।

LICIACube सैटेलाइट DART से 11 सितंबर को अलग हुआ है। DART की टक्कर के बाद एस्टेरॉयड की तस्वीरें LICIACube ही खींचेगा और उन्हें धरती पर भेजेगा। NASA के मुताबिक, ये तस्वीरें 28 सितंबर को जारी की जाएंगी। इस टक्कर का क्या असर हुआ इसकी जांच के लिए दो साल बाद यानी 2024 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी यानी ESA HERA नामक एक अंतरिक्ष यान भेजेगी। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कहा, ‘2026 में जब तक HERA डिडिमॉस तक पहुंचेगा डाइमॉरफस इतिहास रच चुका होगा।

नासा की प्रतिक्रिया :

DART मिशन को लेकर NASA के प्रोग्राम साइंटिस्ट टॉम स्टैटलेर ने कहा, ‘हम एक एस्टेरॉयड को हिला रहे हैं। हम स्पेस में एक नेचुरल खगोलीय पिंड की गति को बदल रहे हैं। इंसान ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है।’

NASA के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस ज़ुर्बुचेन का कहना है, ‘अगर ये टेस्ट सफल रहा, तो इससे पता चलेगा कि अगर कोई घातक एस्टेरॉयड कभी भी हमारी ओर बढ़ता है, तो हमारे पास लड़ने का मौका होगा।’

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लेखक : मदन सिंह

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