गरीबों के लिए नहीं है सुप्रीम कोर्ट | मनीष कश्यप को नहीं मिल सका न्याय | भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने किया मनीष कश्यप का केश खारिज!

न्यायालय को भगवान का मंदिर का दर्जा दिया जाता है लेकिन मनीष कश्यप के केश में शायद ऐसा इसलिए नहीं दिख रहा । भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मनीष कश्यप के केश को सुनने से ही खारिज कर दिया, अब उठ रहे है न्यायालय के विश्वशनीयता पर सवाल, और सवाल उठना जायज भी है, जिस व्यक्ति ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाया, जिसने सरकार को आईना दिखाया उसे ही सुप्रीम कोर्ट के जज ने फटकार लगाया की वह अशांति फैलता है, लेकिन जब दूसरे न्यूज पर चलाए गए न्यूज का हवाला दिया गया कि मनीष से पहले भी कई न्यूज एजेंसियों ने मनीष कश्यप से पहले न्यूज चलाया तो उस पर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा, इससे क्या सिद्ध होता है? जनता लोग आप सोचिये और जो यह कहते है न कि मुझे कानून पर भरोसा है, भाई साहब कहना चाहते है जब आपको न्यायय मिलेगा तबतक आप इस लायक ही नहीं बचेंगे की आप लड़ सके अपने देश के लिए अपने समाज के लिए।

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गरीबों के लिए नहीं है सुप्रीम कोर्ट

आप इसी से अंदाजा लगा सकते है कि सोमवार को सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि बिहार में जो FIR दर्ज हुई है, वह किस घटना को लेकर है? जवाब सुनकर आप हैरान हो जाएंगे सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा की पहली FIR फेक वीडियो को लेकर है, दूसरी पटना एयरपोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर है, जो विवादित है। तीसरी FIR हाथ में हथकड़ी वाले फोटो को लेकर है. बिहार सरकार ने कहा कि मनीष कश्यप आदतन अपराधी है। इसमें कितनी सच्चाई है आप जानते ही है उम्मीद है जज साहब भी जानते ही होंगे।

अगले प्रश्न में CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब तमिलनाडु सरकार बताए कि FIR के बारे में क्या डिटेल है तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जहां पहली एफआईआर दर्ज हुई, वहीं सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ना चाहिए। इस दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा कि वह (मनीष कश्यप) उगाही करने वाला शख्स है। उसने चुनाव भी लड़ा है।

अब हमारे समझ से परे है की क्या कोई चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति पत्रकार नहीं हो सकता तो कोई राजनीति करने वाला कप्पिल सिब्बल वकील कैसे हो सकता है ओह भी तो नेता है, कांग्रेस में रहते कांग्रेस के ऊपर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो कप्पील सिब्बल भी तो भ्रष्टाचारी हुए, क्या कोर्ट को समझ नहीं आया। भाई सब पैसों का खेल है, मुझे तो यही लगता है।

बिहार के वकील को बिहारी होने पर शर्म आनी चाहिए । बिहार की नस्लें उन्हें माफ नहीं करेंगी, एक चारा चोर का साथ देकर उन्होंने सिद्ध कर दिया की भगत सिंह को फांसी की सजा दिलाने वाले वकील इस ही रहे होंगें।

मैं तो बहुत आहत हूं इस न्यूज से उम्मीद है की आप लोग भी आहत होंगें, खैर यह मेरी निजी राय है,आप क्या सोचते है जरूर बताइएगा।

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